अरी मैं तो राम के रंग छकी (Ari Mai To Ram Ke Rang Chhaki PDF ) के बारे में अधिक जानकारी
पुस्तक का नाम (Name of Book) | अरी मैं तो राम के रंग छकी / Ari Mai To Ram Ke Rang Chhaki |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Osho |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 1 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 321 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | Adhyatm |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
प्यारे ओशो,
हम खुदा के तो कभी कायल न थे तुम्हें देखा तो खुदा याद आया ।
शवूर सिजदा नहीं है मुझको, तू मेरे सिजदों की लाज रखना
यह सिर तेरे आस्तां से पहले, किसी के आगे झुका नहीं है। और क्या कहूं, बस अब आप कुछ ऐसी तदबीर करें कि जिससे यह जो एक तीर-ए- नीमकश दिल में चुभा है, सीने के पार हो जाए। प्रश्न लिखने के बहाने ही आंसू बह निकले हैं। आप इसका जवाब देंगे तब भी खूब बहेंगे, नहीं देंगे, तब भी । क्या करूं, अब तो बरसात आ ही गई पर पता नहीं बर का साथ कब होगा ? होगा भी या नहीं?
सत्संग का यही अर्थ है। जिस निमित्त परमात्मा की याद आ जाए, वही सत्संग है। सागर में उठते हुए तूफान को देखकर परमात्मा की याद आ जाए, तो वहीं सत्संग हो गया। आकाश में उगे चांद को देखकर याद आ जाए, तो वहीं सत्संग हो गया। जहां सत्य की याद आ जाए, वहीं सत्य से संग हो जाता है।
और परमात्मा तो सभी में व्याप्त है। इसलिए याद कहीं से भी आ सकती है— किसी भी दिशा से । और परमात्मा तुम्हें सब दिशाओं से तलाश रहा है, खोज रहा है। कहीं से भी रंध्र मिल जाए, जरा सी संधि मिल जाए, तो उसका झोंका तुममें प्रवेश हो जाता है। वृक्षों की हरियाली को देखकर, उगते सूरज को देखकर, पक्षियों के गीत सुनकर, पपीहे की ‘पी कहां की आवाज सुनकर… ।
और अगर तुम गौर से सुनो तो हर आवाज में उसी की आवाज है। तुम्हें अगर मेरी आवाज में उसकी आवाज सुनाई पड़ी, तो उसका कारण यह नहीं है कि मेरी आवाज ही केवल उसकी आवाज है, उसका कुल कारण इतना है कि तुमने मेरी ही आवाज को गौर से सुना । सभी आवाजें उसकी हैं। जहां भी तुम शांत होकर, मौन होकर, खुले हृदय से सुनने को राजी हो जाओगे, वहीं से उसकी याद आने लगेगी।
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