अनुभूत यन्त्र मन्त्र तन्त्र और टोटके PDF | ( Anubhut Yantra Mantra Tantra Aur Totke Hindi Book) के बारे में अधिक जानकारी
पुस्तक का नाम (Name of Book) | अनुभूत यन्त्र मन्त्र तन्त्र और टोटके / Anubhut Yantra Mantra Tantra Aur Totke |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Bhojraj Dwivedi |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 65 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 130 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | Tantra Vidya |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसने उस तंत्र, मन्त्र, तन्त्र के बारे में न सुना हो या न सुना हो, जिसने तंत्र, मन्त्र, तन्त्र और गुह्यविद्याओं के बारे में न सुना हो, जिनमें से यंत्र, मन्त्र, तन्त्र और बल मात्र सहायक नदियाँ हैं। हिन्दू, जैन, मुसलमान, तपस्वियों, साथियों ने ऐसे विज्ञानों के बारे में बहुत कुछ लिखा है, लेकिन कुछ चुनिंदा लोग ही ऐसे उपकरणों का सही और सुरक्षित उपयोग करना जानते हैं।
सम्पूर्ण वेदमन्त्रों को तीन भागों में विभाजित किया गया है- (1) ऋक् (2) यजुष और (3) साम ऋ का अर्थ है प्रार्थना अथवा स्तुति। यजुष् का अर्थ है यज्ञ- यागादि का विधान साम का अर्थ है शान्ति अथवा मंगल स्थापित करने वाला गान।
कालान्तर में इनका वर्गीकरण चार भागों में बांट दिया गया, जो चार वेदों के नाम से प्रसिद्ध हुए ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। सत्य की खोज, दर्शन को निरन्तर परम्परा, धार्मिक व नीतिपरक वैदिक वाक्यों के अतिरिक्त लौकिक कृत्यों और अभिचारों (जादू-टोना आदि) से सम्बन्धित मन्त्रों का समावेश अथर्ववेद में
यह निर्विवाद रूप से प्रमाणित है कि ‘ऋग्वेद’ विश्व की सबसे प्राचीनतम पुस्तक है। यद्यपि ऋग्वेद के काल-निर्णय के बारे में विद्वानों में काफी मतभेद हैं, तथापि अधिकतर विद्वान् इसका काल ईसा पूर्व 2000 से 3000 वर्षों के मध्य मानते हैं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार वेद अनादि, अनन्त, सर्वविभु, सर्वव्यापक, अप्रतिम, अजर, अमर तथा अपौरुषेय है।
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