पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | प्रेमचंद की कहानियाँ | All Stories Collection of Premchand PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | प्रेमचंद / Premchand |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 10 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 1170 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | कहानियाँ / Stories |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
दुर्गा का मंदिर
बाबू ब्रजनाथ कानून पढ़ने में मग्न थे और उनके दोनों बच्चे लड़ाई करने में। श्यामा चिल्लाती, कि मुन्नू मेरी गुड़िया नहीं देता। मुन्नु रोता था कि श्यामा ने मेरी मिठाई खा ली।
ब्रजनाथ ने क्रुद्ध हो कर भामा से कहा- तुम इन दुष्टों को यहाँ से हटाती हो कि नहीं? नहीं तो मैं एक-एक की खबर लेता हूँ।
भामा चूल्हे में आग जला रही थी. बोली- अरे तो अब क्या संध्या को भी पढ़तेही रहोगे? जरा दम तो ले लो।
ब्रज० उठा तो न जाएगा; बैठी-बैठी वहीं से कानून बघारोगी अभी एक-आध को पटक दूंगा. तो वहीं से गरजती हुई आओगी कि हाय-हाय ! बच्चे को मार डाला !
भामा तो मैं कुछ बैठी या सोयी तो नहीं हूँ। जरा एक घड़ी तुम्हीं लड़को को बहलाओगे, तो क्या होगा कुछ मैंने ही तो उनकी नौकरी नहीं लिखायी!
ब्रजनाथ से कोई जवाब न देते बन पड़ा। क्रोध पानी के समान बहाव का मार्ग न पा कर और भी प्रबल हो जाता है। यद्यपि ब्रजनाथ नैतिक सिद्धांतों के ज्ञाता थे; पर उनके पालन में इस समय कुशल न दिखायी दी। मुद्दई और मुद्दालेह, दोनों को एक ही लाठी हॉका, और दोनों को रोते-चिल्लाते छोड़ कानून का ग्रंथ बगल में दबा कालेज पार्क की राह ली।
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