Maha Mrityunjay Mantra Jap Vidhi Stotra Evam Kavach Book PDF Details:
पुस्तक का नाम (Name of Book) | Maha Mrityunjay Mantra Jap Vidhi Stotra Evam Kavach | महामृत्युञ्जय मन्त्र जप विधि स्तोत्र एवं कवच |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Pandit Kulapati Mishr |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 16 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 84 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | धार्मिक / Religious |
Maha Mrityunjay Mantra Jap Vidhi Stotra Evam Kavach Book Summary
महामृत्युञ्जय मन्त्र
आगे के पृष्ठों में विभिन्न भाँति की पूजा प्रणाली का प्रस्तुतीकरण किया गया है जो कि महामृत्युञ्जय मन्त्र से संजीवनी के लाभ प्रदान करने में पूर्णतः सक्षम है। इसी पूजन प्रणाली के बाद प्रयोग समर्पण से पहले साधकगण स्तोत्र कवचादि का पाठ करके समुचित लाभ उठाते हैं परन्तु कभी-कभी यह उपासना काम्य उपासना के रूप में भी की जाती है।
काम्य उपासना में महामृत्युञ्जय मन्त्रों का जपादि किया जाता है। इसमें कौन-कौन से मन्त्र जपे जाते हैं यह तथ्य सर्व साधारण के लिए जान लेना अत्यधिक आवश्यक है अतः ध्यान दें कि-
महामृत्युञ्जय एकाक्षरी मन्त्र ‘ह्रौं’।
महामृत्युञ्जय का त्र्यक्षरी मन्त्र ‘ॐ जूं सः’।
महामृत्युञ्जय का चतुरक्षरी मन्त्र ‘ॐ वं जूं सः’।
महामृत्युञ्जय का नवाक्षरी मन्त्र ‘ॐ जूं सः पालय
पालय’।
महामृत्युञ्जय का दशाक्षरी मन्त्र ‘ॐ जूं सः मां पालय पालय’। इस मन्त्र का स्वयं के लिए जप इसी भाँति होगा। यदि किसी अन्य व्यक्ति के लिए यह जप किया जा रहा हो तो ‘मां’ के स्थान पर उस व्यक्ति का नाम लें।
महामृत्युञ्जय का पंच दशाक्षरी मंत्र ॐ जूं सः मां (या अमुकं) पालय पालय सः जूं ॐ।’
महामृत्युञ्जय का द्वात्रिंशाक्षरी मन्त्र वेदोक्त मन्त्र है जो कि निम्नलिखित है-
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्युत्योर्मुक्षीय माऽमृतात ।।
उपरोक्त द्वात्रिंशाक्षरी मन्त्र का विचार –
इस मन्त्र में आए प्रत्येक शब्द का स्पष्ट करना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि शब्द ही मन्त्र है और मन्त्र ही शक्ति है।
इस मन्त्र में से सबसे पहले ‘त्र’ शब्द आता है यह शब्द ध्रुव वसु का बोधक है।
इसके बाद ‘यम’ शब्द आता है जो कि अध्वर वसु का बोधक है।
इसी भाँति क्रमशः ‘ब’ सोम वसु का
- ‘कम’ वरुण का।
- ‘य’ वायु का।
- ‘ज’ अग्नि का।
- ‘म’ शक्ति का।
- ‘हे’ प्रभास का।
- ‘सु’ वीरभद्र का।
- ‘ग’ शम्भु का।
- ‘न्धिम’ गिरीश का।
- ‘पु’ अजैक का।
- ‘ष्टि’ अहिर्बुध्न्य का।
- ‘व’ पिनाक का।
- ‘र्ध’ भवानी पति का।
- ‘नम’ कापाली का।
- ‘उ’ दिकपति का।
- ‘र्वा’ स्थानु का।
- ‘रु’ मर्ग का।
- ‘क’ धाता का।
- ‘मि’ अर्यमा का।
- ‘व’ मित्रऽदित्य का।
- ‘ब’ वरुणऽदित्य का।
- ‘न्ध’ अंशु का।
- ‘नात’ भगऽदित्य का।
- ‘मृ’ विवस्वान का।
- ‘त्यो’ इन्द्रऽदित्य का।
- ‘मु’ पूषऽदिव्य का।
- ‘क्षी’ पर्जन्यऽदिव्य का।
- ‘य’ त्वष्टा का।
- ‘मा’ विष्णुऽदिव्य का।
- ‘मृ’ प्रजापति का।
- ‘तात’ वषट् का बोधक है।
इस मन्त्र के स्पष्टीकरण में अनेक गूढ़ताएँ हैं.
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