कबीर दोहावली (Kabir Dohavali Hindi Book) के बारे में अधिक जानकारी
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
सामान्य तरीके से जन्म लेकर और एक अति सामान्य परिवार में पलकर कैसे महानता के शीर्ष को छुआ जा सकता है, यह महात्मा कबीर के आचार, व्यवहार, व्यक्तित्व और कृतित्व से सीखा जा सकता है।
जाति हमारी आत्मा, प्राण हमारा नाम ।
अलख हमारा इष्ट, गगन हमारा ग्राम॥
इस प्रकार, अपने दोहों के माध्यम से उन्होंने समाज के बीच आपसी सौहार्द और विश्वास बढ़ाने का काम किया। कबीर ने कोई पंथ नहीं चलाया, कोई मार्ग नहीं बनाया; बस लोगों से इतना कहा कि वे अपने विवेक से अपने अंतर्मन में झाँकें और अपने अंतर के जीवात्मा को पहचानकर सबके साथ बराबर का व्यवहार करें;
क्योंकि हर प्राणी के अंदर जीवात्मा के स्तर पर कोई भेदभाव नहीं होता। सबका जीवात्मा एक समान है, फिर सामाजिक स्तर पर आपसी भेदभाव क्यों हो? कबीर मूर्ति या पत्थर को पूजने की अपेक्षा अंतर में बसे प्रभु की भक्ति करने पर बल देते थे।
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