डॉ. आंबेडकर आत्मकथा एवं जनसंवाद | Dr. Ambedkar Evam Jansanvad के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का नाम (Name of Book) | डॉ. आंबेडकर आत्मकथा एवं जनसंवाद / Dr. Ambedkar Evam Jansanvad |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Dr. Narendra Jadhav |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 2 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 333 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | Biography and Autobiography |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
भारतरत्न डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर, जो स्नेह से बाबासाहब कहे जाते हैं, निश्चित ही भारत के सर्वाधिक यशस्वी सपूतों में से एक हैं। वे भारत के सामाजिक राजनीतिक मंच पर 1920 के दशक के प्रारंभ में प्रकट हुए और ब्रिटिश राज से अंत तक भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक कायाकल्प के अग्रस्थान में रहे। सन् 1947 में स्वतंत्रता के बाद से सन् 1956 में मृत्युपर्यंत आधुनिक भारत की नींव रखने में डॉ. आंबेडकर ने महत्त्वपूर्ण एवं अनूठी भूमिका निभाई।
डॉ. आंबेडकर का जीवन एक अविश्वसनीय आख्यान है एक अस्पृश्य बालक, बचपन से जवानी तक कदम- कदम पर अपमानित, सभी विवशताओं को पार करते हुए वैश्विक स्तर के विश्वविद्यालयों से उच्चतम डिग्रियाँ प्राप्त करता है। इसके बाद वे अपना जीवन अन्यायपूर्ण एवं मानव अधिकारों से वंचित जातिबद्ध पुरानी सामाजिक व्यवस्था के विनाश हेतु समर्पित कर देते हैं। परिवार के किसी सौभाग्य या किसी राजनीतिक वंशावली के बिना ही केवल कमरतोड़ मेहनत, दृढ़निश्चय, उच्चतम साहस एवं स्वार्थरहित बलिदान के बल पर जबरदस्त राजनीतिक विरोध तथा सामाजिक भेदभाव पर विजय पाते हुए वे स्वतंत्र भारत के संविधान के प्रधान निर्माता बन जाते हैं।
तदुपरांत वे इस सकारात्मक कार्य के लिए रक्षाकवच बनाने के उद्देश्य से एक अधिक न्याययुक्त समाज, जो लाखों-करोड़ों पददलित लोगों को सामाजिक न्याय दे सके, उसकी स्थापना के कार्य में लग जाते हैं और इस प्रकार सामाजिक न्याय एवं तार्किकता पर आधारित एक नए भारत के निर्माण की बुनियाद रखते हैं। इस प्रक्रिया में वे न केवल भारतीय गणतंत्र के साहसी रक्षक वरन् आधुनिक भारत के सजग प्रहरी भी बनते हैं।
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