भारत का संविधान | Bharat Ka Sanvidhan के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का नाम (Name of Book) | भारत का संविधान / Bharat Ka Sanvidhan |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Dr. Pramod Kumar Agrawal |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 2 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 333 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | Indian Constitution |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
किसी भी देश का संविधान उसकी राजनीतिक व्यवस्था का वह बुनियादी ढाँचा निर्धारित करता है, जिसके अंतर्गत उसकी जनता शासित होती है। यह राज्य की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसे प्रमुख अंगों की स्थापना करता है, उनकी शक्तियों की व्याख्या करता है, उनके दायित्वों का सीमांकन करता है और उनके पारस्परिक तथा जनता के साथ संबंधों का विनियमन करता है।
इस प्रकार किसी देश के संविधान को उसकी ऐसी ‘आधार’ विधि (मानक) कहा जा सकता है, जो उसकी राज्यव्यवस्था के मूल सिद्धांतों को निर्धारित करती है। वस्तुतः प्रत्येक संविधान उसके संस्थापकों एवं रचनाकारों के आदर्शों, सपनों तथा मूल्यों का दर्पण होता है। वह जनता की विशिष्ट व्यक्तिगत, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रकृति, आस्था एवं आकांक्षाओं पर आधारित होता है। भारत का संविधान भी इसका अपवाद नहीं है।
अंग्रेजों के चंगुल से भारत भले ही 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र हुआ हो, किंतु यहां नए गणराज्य के संविधान का शुभारंभ 26 जनवरी, 1950 को हुआ और भारत अपने लंबे इतिहास में प्रथम बार एक आधुनिक संस्थागत ढांचे के साथ पूर्ण संसदीय लोकतंत्र बना ।
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