मरणोत्तर जीवन (Maranottar Jivan PDF by Swami Vivekanand ) के बारे में अधिक जानकारी
पुस्तक का नाम (Name of Book) | मरणोत्तर जीवन / Maranottar Jivan |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Swami Vivekanand |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 5 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 134 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | Adhyatm |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
यह पुस्तक स्वामी विवेकानन्दजी के मौलिक अंग्रेजी लेखों का हिन्दी अनुवाद है। इस पुस्तक में स्वामीजी ने पुनर्जन्म के सम्बन्ध में हिन्दूमत तथा पाश्चात्य मत दोनों की बड़ी सुन्दर रूप से विवेचना की है और इन दोनों मतों की पारस्परिक तुलना करते हुए इस विषय को भलीभाँति समझा दिया है कि हिन्दुओं का पुनर्जन्मवाद वास्तव में किस प्रकार नितान्त तर्कयुक्त है. साथ ही यह भी कि मनुष्य की अनेका नेक प्रवृत्तियों का स्पष्टीकरण केवल इसी के द्वारा किस प्रकार हो सकता है।
उस वृहत् पौराणिक ग्रंथ महाभारत ” में एक आख्यान है. जिसमें कथानायक युधिष्ठिर से धर्म ने प्रश्न किया कि संसार में अत्यन्त आश्चर्यकारक क्या है? युधिष्ठिर ने उत्तर दिया कि मनुष्य अपने जीवन भर प्रायः प्रतिक्षण अपने चारों ओर सर्वत्र मृत्यु का ही दृश्य देखता है, तथापि उसे ऐसा दृढ और अटल विश्वास है कि मैं मृत्युहीन हूँ । और मनुष्य जीवन में यह सचमुच अत्यन्त आचर्यजनक है। यद्यपि भिन्न भिन्न मतावलम्बी भिन्न भिन्न जमाने में इसके विपरीत दलीलें करते आए और इन्द्रिय द्वारा ग्राह्य और अतीन्द्रिय सृष्टियों के बीच जो रहस्य का परदा सदा पड़ा रहेगा उसका भेदन करने में बुद्धि असमर्थ हैं, तथापि मनुष्य पूर्ण रूप से यही मानता है कि वह मरणहीन है ।
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