पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | वेदांत दर्शन | Vedant Darshan |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | गीता प्रेस / Geeta Press |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 101 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 440 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | धार्मिक / Religious |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
महर्षि वेदव्यासरचित ब्रह्मसूत्र बडा हो महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है । इसमें बड़े शब्दों में परब्रह्मके स्वरूपका साङ्गोपाङ्ग निरूपण किया गया है, इसीलिये इसका नाम ‘ब्रह्मसूत्र’ है । यह ग्रन्य वेदके चरम सिद्धान्तका निदर्शन कराता है, अतः इसे ‘वेदान्त दर्शन’ भी कहते है । वेदके अन्त या शिरोभाग ब्राह्मण, आरण्यक एवं उपनिषद् के सूक्ष्म तत्त्वका दिग्दर्शन करानेके कारण भी इसकी उक्त नाम सार्थक है । वेदके पूर्वभागको श्रुतियोंमे कर्मकाण्डका विषय है, उसकी समीक्षा आचार्य जैमिनिने पूर्वमीमांसा सूत्रों की है। उत्तरभागकी श्रुतियों में उपासना एवं ज्ञानकाण्ड है; इन दोनोकी मीमांसा करनेवाले वेदान्त-दर्शन यां ब्रह्मसूत्रको ‘उत्तर मीमांसा’ भी कहते हैं। दर्शनोंमें इमका स्थान सबसे ऊँचा है; क्योंकि इसमें जोबके परम प्राप्य एवं चरम पुरुषार्थका प्रतिपादन किया गया है । प्रायः सभी सम्प्रदायोंके प्रधान प्रधान आचार्योंने ब्रह्मसूत्रपर भाष्य लिखे हैं और सबने अपने-अपने सिद्धान्तको इस ग्रन्थका प्रतिपाद्य बतानेकी चेत्र की है । इससे भी इस ग्रन्थकी महत्ता तथा विद्वानोंमें इसकी समादरणीयता सूचित होती है। प्रस्थानत्रयीमें ब्रह्मसूत्रका प्रधान स्थान है ।
संस्कृत भाषा में इस ग्रन्थपर अनेक भाष्य एवं टीकाऍ उपलब्ध होती है; परंतु हिन्दीमें कोई सरल तथा सर्वसाधारणके समझने योग्य टीका नहीं थी; इससे हिन्दीभाषा-भाषियोंके लिये इस गहन ग्रन्थका भाव समझना बहुत कठिन हो रहा था । यद्यपि ‘अच्युत ग्रन्थमाला’ ने ब्रह्मसूत्र शाङ्करभाष्य एवं रत्नप्रभा व्याख्याका हिन्दीमें अनुवाद प्रकाशित करके हिन्दी जगत्का महान् उपकार किया है;
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