What is Markandeya Purana Pdf in Hindi (मार्कंडेय पुराण क्या है)
पुराण भारत तथा भारतीय संस्कृतिकी सर्वोत्कृष्ट निधि हैं। ये अनन्त ज्ञान-राशिके भण्डार हैं। इनमें इहलौकिक सुख-शान्तिसे युक्त सफल जीवनके साथ-साथ मानवमात्रके वास्तविक लक्ष्य – परमात्मतत्त्वकी प्राप्ति तथा जन्म मरणसे मुक्त होनेका उपाय और विविध साधन बड़े ही रोचक, सत्य और शिक्षाप्रद कथाओंके रूपमें उपलब्ध हैं। इसी कारण पुराणोंको अत्यधिक महत्त्व और लोकप्रियता प्राप्त है; परन्तु आज ये अनेक कारणोंसे दुर्लभ होते जा रहे हैं।
पुराणोंकी ऐसी महत्ता, उपयोगिता और दुर्लभताके कारण कुछ पुराणोंके सरल हिन्दी अनुवाद ‘कल्याण’के विशेषाङ्कोंके रूपमें समय-समयपर प्रकाशित किये जा चुके हैं। उनमें ‘संक्षिप्त मार्कण्डेय-ब्रह्मपुराणाङ्क’ भी एक है। ये दोनों पुराण सर्वप्रथम संयुक्तरूपसे ‘कल्याण’ के इक्कीसवें (सन् १९४७ ई०) वर्षके विशेषाङ्कके रूपमें प्रकाशित हुए ।
पश्चात् श्रद्धालु पाठकोंकी माँगपर अन्य पुराने विशेषाङ्कोंकी तरह इनके (संयुक्तरूपमें) कुछ पुनर्मुद्रित संस्करण भी प्रकाशित हुए। पुराण-विषयक इन विशेषाङ्कोंकी लोकप्रियताको ध्यान में रखते हुए अब पाठकोंके सुविधार्थ इस प्रकारसे संयुक्त दो पुराणोंको अलग-अलग ग्रन्थाकारमें प्रकाशित करनेका निर्णय लिया गया है। तदनुसार यह ‘संक्षिप्त मार्कण्डेयपुराण’ आपकी सेवामें प्रस्तुत है। (इसी तरह ‘संक्षिप्त ब्रह्मपुराण’ भी अब अलगसे ग्रन्थाकारमें उपलब्ध है।)
‘मार्कण्डेयपुराण’ का अठारह पुराणोंकी गणनामें सातवाँ स्थान है। इसमें जैमिनि मार्कण्डेय संवाद एवं मार्कण्डेय ऋषिका अभूतपूर्व आदर्श जीवन चरित्र, राजा हरिश्चन्द्रका चरित्र-चित्रण, जीवके जन्म-मृत्यु तथा महाग़ैरव आदि नरकोंके वर्णनसहित भिन्न-भिन्न पापोंसे विभिन्न नरकोंकी प्राप्तिका दिग्दर्शन है।
इसके अतिरिक्त इसमें सती मदालसाका आदर्श चरित्र, गृहस्थोंके सदाचारका वर्णन, श्राद्ध कर्म, योगचर्या तथा प्रणवकी महिमापर महत्त्वपूर्ण प्रकाश डाला गया है। इसमें देवताओंके अंशसे भगवती महादेवीका प्राकट्य और उनके द्वारा सेनापतियोंसहित महिषासुर •वधका वृत्तान्त भी विशेष उल्लेखनीय है। इसमें श्रीदुर्गासप्तशती सम्पूर्ण-मूलके साथ हिन्दी अनुवाद, माहात्म्य तथा पाठकी विधिसहित विस्तारसे वर्णित है। इस प्रकार लोक-परलोक सुधारहेतु इसका अध्ययन अति उपयोगी, महत्त्वपूर्ण और कल्याणकारी है।
पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | मार्कंडेय पुराण / Markandeya Purana PDF |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Gita Press / गीता प्रेस |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 15 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 296 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | वेद-पुराण / Ved-Puran |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
और स्वाध्यायमें लगे हुए महामुनि मार्कण्डेयसे पूछा- ‘भगवन्! महात्मा व्यासद्वारा प्रतिपादित महाभारत अनेक शास्त्रोंके दोषरहित एवं उज्ज्वल सिद्धान्तोंसे परिपूर्ण है। यह सहज शुद्ध अथवा छन्द आदिकी शुद्धिसे युक्त और साधु शब्दावलीसे सुशोभित है। इसमें पहले पूर्वपक्षका प्रतिपादन करके फिर सिद्धान्त पक्षकी स्थापना की गयी है। जैसे देवताओंमें विष्णु, मनुष्योंमें ब्राह्मण तथा सम्पूर्ण आभूषणोंमें चूड़ामणि श्रेष्ठ है, जिस प्रकार आयुधोंमें वज्र और इन्द्रियोंमें मन प्रधान माना गया है, उसी प्रकार समस्त शास्त्रोंमें महाभारत उत्तम बताया गया है। इसमें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष- 1- इन चारों पुरुषार्थोंका वर्णन है।
वे पुरुषार्थ | कहीं तो परस्पर सम्बद्ध हैं और कहीं पृथक् पृथक् वर्णित हैं। इसके सिवा उनके अनुबन्धों (विषय, सम्बन्ध, प्रयोजन और अधिकारी) – का भी इसमें वर्णन किया गया है। ‘भगवन्! इस प्रकार यह महाभारत उपाख्यान वेदोंका विस्ताररूप है। इसमें बहुत से विषयोंका -से प्रतिपादन किया गया है। मैं इसे यथार्थ रूपसे जानना चाहता हूँ और इसीलिये आपकी सेवामें उपस्थित हुआ हूँ। जगत्की सृष्टि, पालन और संहारके एकमात्र कारण सर्वव्यापी भगवान् जनार्दन निर्गुण होकर भी मनुष्यरूपमें कैसे प्रकट हुए तथा द्रुपदकुमारी कृष्णा अकेली ही पाँच पाण्डवोंकी
महारानी क्यों हुईं ? इस विषय में मुझे महान् सन्देह है। द्रौपदांके पाँचों महारथी पुत्र, जिनका अभी विवाह भी नहीं हुआ था और पाण्डव-जैसे बीर जिनके रक्षक थे, अनाथकी भाँति कैसे मारे गये ? ये सारी बातें आप मुझे विस्तारपूर्वक अतानेकी कृपा करें ।’
मार्कण्डेयजी बोले- मुनिश्रेष्ठ! यह मेरे लिये संध्या-वन्दन आदि कर्म करनेका समय है। तुम्हारे प्रश्नोंका उत्तर विस्तारपूर्वक देना है, अतः उसके लिये यह समय उत्तम नहीं है। जैगिने मैं तुम्हें ऐसे पक्षियोंका परिचय देता हूँ, जो तुम्हारे प्रश्नका उत्तर देंगे और तुम्हारे सन्देहका निवारण करेंगे।
द्रोण गामक पक्षीके चार पुत्र हैं, जो सब पक्षियोंमें श्रेष्ठ तत्त्वज्ञ तथा शास्त्रोंका चिन्तन करनेवाले हैं। उनके नाम है- पिङ्गाक्ष, विबोध, सुपुत्र और सुमुख वेदों और शास्त्रोंके तात्पर्यको समझने में उनकी बुद्धि कभी कुण्ठित नहीं होती। चारों पक्षी की कन्दरामें निवास करते हैं। तुम उन्हींके पास जाकर ये सभी बातें पूछो।
जैमिनिने कहा— ब्रह्मन् ! यह तो बड़ी अद्भुत बात है कि पक्षियोंकी बोली मनुष्योंके समान हो। पक्षी होकर भी उन्होंने अत्यन्त दुर्लभ विज्ञान प्राप्त किया है। यदि तिर्यक् सेनिमें उनका जन्म हुआ है, तो उन्हें ज्ञान कैसे प्राप्त हुआ? वे चारों पक्ष द्रोणके पुत्र कैसे बतलाये जाते हैं ? विख्यात पक्षी द्रोण कौन है, जिसके चार पुत्र ऐसे ज्ञानो हुए? उन गुणवान् महत्मा पक्षियोंको धर्मका ज्ञान किस प्रकार हुआ ?
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