पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | नौकर की कमीज | Naukar Ki Kameez |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | विनोद कुमार शुक्ल / Vinod Kumar Shukla |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 3.0 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 194 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | उपन्यास / Novel |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
कितना सुख था कि हर बार घर लौटकर आने के लिए मैं बार – बार घर से बाहर निकलूंगा । धूप कमरे में आती है। सूर्य नहीं आता। बारिश के दिन लगातार तीन दिन की धूप की जरूरत थी । इससे ज्यादा दिन की धूप नहीं चाहता था । गरीब एक स्तर के होते हुए भी एक जैसे इकट्ठे नहीं होते जैसे पचास आदमी को काटकर पचास आदमी बना देना । यदि पचास हैं तो इसका मतलब सिर्फ पचास, एक और फिर गिनती गिनो इक्यावन । बिही के साथ एक हरी पत्ती भी टूटकर गिरती है तो बिही ताजी है। माली की मेहनत के फल के साथ क्या टूटकर लगेगा! आम से लदी अमराई बाजार में बिकने नहीं आती । टोकनी में आम बिकेंगे! गड्ढे के अंदर बहुत बड़ा मैदान है, लगता ही नहीं कि गड्ढे के अंदर हैं । गड्ढे के अंदर की जगह में भी सबकी जगह निश्चित ।
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