पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
पुस्तक का नाम (Name of Book) | साइकिल | Cycle |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | सुशील शुक्ला / Sushil Shukla |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 11 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 68 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | बाल पुस्तक / Children Book |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
पहाड़ मैं तुम्हें चिट्ठी लिखना चाहता हूँ।
तुम बहुत दूर ऊँचे और फैले हुए हो। पोस्टमैन तुम्हें चिट्ठी कैसे देगा? तुम बहुत बड़ी जगह में हो किस जगह देगा? नीचे देगा या चढ़कर देगा? बहुत ऊपर शिखर तक नहीं जा सकेगा। उसे बहुत चिट्ठियाँ बाँटनी होती हैं। पर क्या तुम्हें पढ़ना आता है? क्या लिखना भी आता है? कहीं ऐसा तो नहीं पोस्टमैन को मेरी चिट्ठी पढ़कर सुनानी हो ? जवाब भी लिखाना हो ?
हो सकता है पोस्टमैन चिट्ठी नीचे किसी चट्टान के ऊपर रख दे और तुम्हारा एक छोटा पत्थर उठाकर चिट्ठी पर रख दे ताकि हवा से ना उड़े। अगर पानी गिर गया तो चिट्ठी भीग जाएगी। शायद चिट्ठी बड़ी चट्टान के नीचे खोह में रख दे। महाड़ तुम जहाँ हो वहीं हो। और वहीं दूर से भी दिख जाते हो तुम कहाँ हो यह मालूम हो जाता है। दूर से तुम्हारा दिखना तुम्हारा बताना है कि तुम यहाँ हो। और दूर से ही दिखना तुम्हारा जोर से चिल्लाना है कि दूर तक सुनाई दे। पर तुम बोलते नहीं सुनते भी नहीं तुम्हारे कान होते तो बहुत बड़े होते और मैं दूर घर की खिड़की से तुमसे बातें करता ।
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