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Lilavati Granth in Hindi PDF

लीलावती ग्रंथ हिंदी पीडीएफ | Lilavati Granth in Hindi PDF

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Category: संस्कृत ग्रन्थ / Sanskrit Granth

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लीलावती, जो कि संस्कृत में लिखी गई थी, गणित और खगोल विज्ञान पर एक प्रसिद्ध पाठ्यपुस्तक है। यह 12वीं शताब्दी के भारतीय गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वारा लिखी गई थी। लीलावती को गणित और खगोल विज्ञान के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट उपलब्धि माना जाता है, और इसे दुनिया की सबसे पुरानी गणित पाठ्यपुस्तकों में से एक माना जाता है।

लीलावती में विभिन्न गणितीय विषयों पर चर्चा की गई है, जिनमें अंकगणित, बीजगणित, ज्यामिति, त्रिकोणमिति, और खगोल विज्ञान शामिल हैं। पुस्तक में कई गणितीय समस्याओं और उनके समाधान भी शामिल हैं।

लीलावती को अपनी सरल और सुगम भाषा के लिए जाना जाता है। पुस्तक को हिंदी में भी अनुवाद किया गया है, और यह आज भी गणित और खगोल विज्ञान के छात्रों के लिए एक लोकप्रिय पाठ्यपुस्तक है।

यह पुस्तक गणित और खगोल विज्ञान के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट उपलब्धि है, और इसे दुनिया की सबसे पुरानी गणित पाठ्यपुस्तकों में से एक माना जाता है। लीलावती को अपनी सरल और सुगम भाषा के लिए भी जाना जाता है, और यह आज भी गणित और खगोल विज्ञान के छात्रों के लिए एक लोकप्रिय पाठ्यपुस्तक है।

यदि आप गणित और खगोल विज्ञान में रुचि रखते हैं, तो लीलावती एक उत्कृष्ट पुस्तक है जिसे आप पढ़ सकते हैं। यह पुस्तक आपको गणित और खगोल विज्ञान के मूलभूत सिद्धांतों को समझने में मदद करेगी, और आपको इन विषयों पर गहराई से जानने के लिए प्रेरित करेगी।


लीलावती ( Lilavati Pdf ) के बारे में अधिक जानकारी:-

पुस्तक का नाम (Name of Book)लीलावती ग्रंथ | Lilavati Granth PDF
पुस्तक का लेखक (Name of Author)Bhaskaracharya
पुस्तक की भाषा (Language of Book)Hindi
पुस्तक का आकार (Size of Book)86 MB
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook)216
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)Sanskrit Granth

पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-

आज मैं आप सभी को एक रोमांचक पुस्तक की रचना के बारे में बताने जा रहा हूँ। यह पुस्तक है “लीलावती” जिसे श्री भास्कराचार्य ने लिखा है। यह पुस्तक एक महान गणितज्ञ की जीवनी है जिसने अपनी पुत्री लीलावती के विवाह के लिए बड़ी मेहनत से गणितीय तत्वों को बनाया था।

भारतीय संस्कृति में वेदों को सर्वोच्च ग्रंथ माना जाता है और वेदों में शिक्षा के छह अंग हैं: कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंद, ज्योतिष और शिक्षा। इस पुस्तक में भास्कराचार्य ने ज्योतिष शास्त्र के गणितीय अंश को अद्भुत रीति से प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक के माध्यम से उन्होंने सनातन भारतीय गणित को सर्वत्र प्रचारित किया था।

यह गणितशास्त्रका विशेष अंग है जिसमें फलित और गणित दो भाग हैं। इस पुस्तक में भास्कराचार्य ने इस गणित के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझाने का प्रयास किया है। यहां तक कि उन्होंने अन्य देशों में भी इसे प्रसारित करने का प्रयास किया था। लेकिन उस समय भारत में गणित जानने वाले लोगों की संख्या बहुत कम थी। इस पुस्तक के द्वारा भास्कराचार्य ने इस गणित की महत्ता को समझाने का प्रयास किया और उसके लिए उन्हें बड़े धन्यवाद की जरूरत है।

पुस्तक के नाम से ही स्पष्ट है कि इसमें एक अद्भुत गणितज्ञ लीलावती के चरित्र का वर्णन है। लीलावती एक प्रतिभाशाली और ज्ञानी स्त्री थी जो गणित के क्षेत्र में बेहद निपुण थी। उसने अपने पिता के गणितीय तत्वों को समझकर अद्भुत विद्यमान विधवा योग को देखकर खुद को सुरेख्षित किया था। इस पुस्तक में उनके कल्पनाशील सफलते के किस्से भी बताए गए हैं जो हम सभी को प्रेरित करते हैं।

इस पुस्तक के रचयिता श्री भास्कराचार्य के समय के निर्णय के अनुसार, उनका जन्म कर्नाटक के सह्यकुल पर्वत के नजदीक विज्जड़विड़ नामक नगर में हुआ था। उनकी शिक्षा में ब्राह्मण और वैष्णव संप्रदाय के शास्त्रों का अध्ययन हुआ था। वे एक उत्कृष्ट गणितज्ञ थे और उनके लेखित ग्रंथ “लीलावती”, “वीजगणित”, “गोलाध्याय”, “गणिताध्याय”, “करणकुतूहल” आदि अन्य ग्रंथ भी मिलते हैं।

इस पुस्तक में उनके सिद्धान्तों को समझाने वाले अनेक महान विद्वानों ने अपनी टीकाएँ दी हैं। इसके अलावा इस पुस्तक का अंग्रेजी, फारसी और अन्य भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है। भारतीय संस्कृति के लिए गणित का महत्त्व हम सभी को पता है, और इस पुस्तक के माध्यम से हम सभी को गणित ज्ञान के बारे में अधिक से अधिक सीखने का अवसर मिलेगा।

इस पुस्तक के समयांतर के निर्णय के अनुसार, श्री भास्कराचार्य ने अपनी पुत्री लीलावती के जन्मकुण्डली में बालविधवा योग देखकर उसका विवाह नहीं किया था। उनके इस लीलावती नामक पुत्री के नाम से इस पुस्तक की रचना की गई थी और इस तरीके से उन्होंने अपने विद्वान गणित को संसार में जीवंत रखा।

यह पुस्तक एक गणितीय सोपान है जिसे समझने के लिए हमें सभी को इसे पढ़ना अत्यंत आवश्यक है। गणितशास्त्र वेद का नेत्र है “ज्योतिषं नयनं स्मृतम्”। इसलिए इस पुस्तक के ज्ञान का सार्थक अध्ययन करना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

नीचे दिए गए लिंक के द्वारा आप लीलावती हिंदी पीडीएफ ( Lilavati PDF ) पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं ।

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