हनुमानबाहुक | Hanuman Bahuk Hindi Book के बारे में अधिक जानकारी
पुस्तक का नाम (Name of Book) | हनुमानबाहुक / Hanuman Bahuk |
पुस्तक का लेखक (Name of Author) | Gita-Press |
पुस्तक की भाषा (Language of Book) | हिंदी | Hindi |
पुस्तक का आकार (Size of Book) | 3 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ (Total pages in Ebook) | 65 |
पुस्तक की श्रेणी (Category of Book) | धार्मिक / Religious |
पुस्तक के कुछ अंश (Excerpts From the Book) :-
संवत् १६६४ विक्रमाब्दके लगभग गोस्वामी तुलसीदासजी की बाहुओं में वात-व्याधिकी गहरी पीड़ा उत्पन्न हुई थी और फोड़े-फुंसियोंके कारण सारा शरीर वेदनाका स्थान सा बन गया था। औषध, यन्त्र, मन्त्र, त्रोटक आदि अनेक उपाय किये गये, किन्तु घटनेके बदले रोग दिनोंदिन बढ़ता ही जाता था ।
असहनीय कष्टोंसे हताश होकर अन्तमें उसकी निवृत्तिके लिये गोस्वामी तुलसीदासजीने हनुमान्जीकी वन्दना आरम्भ की। अंजनीकुमारकी कृपासे उनकी सारी व्यथा नष्ट हो गयी। यह वही ४४ पद्यों का हनुमानबाहुक नामक प्रसिद्ध स्तोत्र है ।
असंख्य हरिभक्त श्रीहनुमान्जीके उपासक निरन्तर इसका पाठ करते हैं और अपने वांछित मनोरथको प्राप्त करके प्रसन्न होते हैं। संकटके समय इस सद्यः फलदायक स्तोत्रका श्रद्धा-विश्वासपूर्वक पाठ करना रामभक्तोंके लिये परमानन्ददायक सिद्ध हुआ है।
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